शेयर बाजार में सोमवार, 5 अगस्त को एक बड़ी गिरावट देखी गई, जिसने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया। भारतीय बाजार के प्रमुख इंडेक्स, सेंसेक्स और निफ्टी 50, वैश्विक बाजारों में जारी गिरावट के चलते इंट्राडे ट्रेड में 3 प्रतिशत से अधिक गिर गए। अमेरिकी मंदी की आशंका, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और अन्य वैश्विक आर्थिक कारकों ने इस गिरावट को तेज किया। निवेशकों के लिए यह एक गंभीर झटका साबित हुआ, जिसमें कुल 17 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का विवरण
सेंसेक्स अपने पिछले बंद 80,981.95 के मुकाबले 78,588.19 पर खुला और दिन के अंत में 3.3 प्रतिशत गिरकर 78,295.86 के स्तर पर बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी 50 अपने पिछले बंद 24,717.70 के मुकाबले 24,302.85 पर खुला और 3.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,893.70 के स्तर पर बंद हुआ। दोपहर लगभग 12:25 बजे, बीएसई सेंसेक्स 2.87% की गिरावट के साथ 78,661.08 पर और निफ्टी 50 2.81% की गिरावट के साथ 24,024.20 पर था।
बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी लगभग 4% की गिरावट दर्ज की गई, जो इन बाजारों में अधिक जोखिम के कारण होती है। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण पिछले सत्र के लगभग ₹457 लाख करोड़ से घटकर लगभग ₹440 लाख करोड़ रह गया, जिससे निवेशकों को एक सत्र में लगभग ₹17 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
गिरावट के मुख्य कारण
इस गिरावट के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
अमेरिकी मंदी की आशंका: अमेरिकी रोजगार के आंकड़े और बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी ने वैश्विक बाजारों में मंदी की आशंका को बढ़ा दिया है। जुलाई महीने में अमेरिका की बेरोजगारी दर 4.1% से बढ़कर 4.3% हो गई, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे ऊंची है। यह लगातार चौथी बार है जब बेरोजगारी दर में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे अमेरिकी आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई है।
मध्य पूर्व में तनाव: मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अस्थिरता वैश्विक बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता कम हो जाती है।
जापान में ब्याज दरों में बढ़ोतरी: जापान में ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने रिवर्स येन कैरी ट्रेड के डर को बढ़ा दिया है। इससे निवेशक अन्य सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे शेयर बाजारों में गिरावट हो सकती है।
चीन और यूरोप में आर्थिक मंदी: चीन और यूरोप में पहले से ही आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है।
विशेषज्ञों की राय
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, “वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था के धीमा पड़ने की आशंका है। अमेरिकी रोजगार सृजन में गिरावट और बेरोजगारी दर में वृद्धि ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।” उन्होंने आगे कहा कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है और उन्हें दीर्घकालिक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में अस्थिरता एक सामान्य प्रक्रिया है और निवेशकों को इस तरह की गिरावटों से घबराना नहीं चाहिए। वे सुझाव देते हैं कि निवेशकों को अपने निवेश को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए और अच्छी कंपनियों में निवेश करना चाहिए, जो भविष्य में अच्छा रिटर्न दे सकती हैं।
निवेशकों के लिए सुझाव
इस स्थिति में, निवेशकों को धैर्य बनाए रखना चाहिए और अपनी निवेश रणनीति पर कायम रहना चाहिए। उन्हें अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए और सिर्फ एक सेक्टर या स्टॉक पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके अलावा, निवेशकों को नियमित रूप से अपने निवेश की समीक्षा करनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर अपने पोर्टफोलियो में आवश्यक परिवर्तन करने चाहिए।
निवेशकों को यह भी ध्यान देना चाहिए कि बाजार में गिरावट के दौरान उन्हें पैनिक सेलिंग से बचना चाहिए। इसके बजाय, वे इस मौके का उपयोग अच्छे फंडामेंटल्स वाली कंपनियों के शेयरों को खरीदने के लिए कर सकते हैं, जो लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं।
शेयर बाजार में हालिया गिरावट ने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे इस अस्थायी गिरावट से विचलित न हों। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण बनाए रखना और अच्छे फंडामेंटल्स वाली कंपनियों में निवेश करना सबसे अच्छा तरीका है। इस समय में, बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए धैर्य और समझदारी से निवेश करना आवश्यक है। भविष्य में बाजार में स्थिरता वापस आ सकती है और निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं, बशर्ते वे अपनी रणनीति पर कायम रहें और उचित जोखिम प्रबंधन का पालन करें।