पुलिस ने जब पिंकी चौधरी की फाइल खोली तो यह सामने आया कि उसका नाम साहिबाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर लिस्ट में शामिल है। उस पर करीब 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं। हाल ही में बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध के नाम पर भारत में कुछ अराजक तत्वों ने अशांति फैलाने का प्रयास किया है। 10 अगस्त को एक घटना सामने आई, जिसमें हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं द्वारा बांग्लादेशी बताकर झुग्गियों में रहने वाले लोगों को मारपीट की गई थी। इस घटना में वहां रहने वाले लोगों को लाठी-डंडों से पीटा गया और उनकी झुग्गियों को आग के हवाले कर दिया गया। यह घटना गुलधर रेलवे स्टेशन के पास की है और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। पुलिस ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पिंकी चौधरी सहित 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले सभी आरोपी फरार हो गए थे।
जांच में सामने आया कि झुग्गियों में रहने वाले लोग बांग्लादेशी नहीं थे, बल्कि सहारनपुर के रहने वाले थे। बावजूद इसके, पिंकी चौधरी ने उन्हें बांग्लादेशी बताकर हमला किया। जानकारी के अनुसार, पिंकी चौधरी अपने अन्य साथियों के साथ गुलधर पहुंचा और झुग्गीवासियों पर हमला कर दिया। जब उन्होंने विरोध किया, तो उन्हें लाठी-डंडों से पीटा गया। इस हमले में 5-6 झुग्गियां तोड़ी गईं और कुछ में आग भी लगा दी गई, जिससे वहां का सामान जलकर खाक हो गया।
पिंकी चौधरी का अपराधों से पुराना नाता है। 8 अगस्त को उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें वह धमकी दे रहा था कि अगर बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार नहीं रुका, तो 24 घंटे के भीतर वह जिले में रह रहे बांग्लादेशियों पर हमला करेगा। इस वीडियो के वायरल होने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
अब, जब पिंकी चौधरी ने बापूधाम क्षेत्र में हिंसा का अंजाम दिया, तब पुलिस सक्रिय हुई। पुलिस की जांच में पाया गया कि पिंकी चौधरी साहिबाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर लिस्ट में पहले से शामिल था और उस पर 16 मामले दर्ज हैं। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद वह खुलेआम घूम रहा था और पुलिस के सामने अपराध कर रहा था। अब पुलिस ने विवाद को गंभीरता से लेते हुए पिंकी चौधरी की गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस आरोपी पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
पिंकी चौधरी और उसके साथियों द्वारा की गई इस हिंसा ने एक बार फिर से सवाल खड़ा किया है कि आखिर ऐसे हिस्ट्रीशीटर कैसे कानून से बचते रहते हैं। जिस तरह से पुलिस की लापरवाही इस मामले में सामने आई है, उससे यह भी स्पष्ट होता है कि कानून के रखवाले भी कई बार अपराधियों के आगे बेबस नजर आते हैं। अगर समय रहते पुलिस ने पिंकी चौधरी के वायरल वीडियो पर ध्यान दिया होता, तो शायद बापूधाम की यह घटना टाली जा सकती थी। अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले में कितनी सख्त कार्रवाई करती है और पिंकी चौधरी पर NSA के तहत क्या कार्रवाई की जाती है।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि कैसे कुछ लोग धार्मिक मुद्दों को लेकर समाज में हिंसा और अशांति फैलाने का प्रयास करते हैं। बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों का विरोध करना एक बात है, लेकिन उसका बहाना बनाकर निर्दोष लोगों पर हमला करना एकदम गलत है। पुलिस की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण हो जाती है, ताकि समाज में कानून का डर बना रहे और कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में लेने का साहस न कर सके।
समाज में शांति बनाए रखने के लिए जरूरी है कि कानून का पालन कड़ाई से हो और अपराधियों को समय पर सजा दी जाए। पिंकी चौधरी जैसे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना जरूरी है, ताकि अन्य लोग भी कानून का सम्मान करें और समाज में शांति बनी रहे। अब यह पुलिस और न्यायपालिका पर निर्भर करता है कि वे इस मामले में कैसे कदम उठाते हैं और पिंकी चौधरी जैसे अपराधियों को कैसे कानून के शिकंजे में लाते हैं।
पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस घटना ने यह जरूर स्पष्ट कर दिया है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को और भी अधिक सतर्क और सक्रिय होना पड़ेगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे मामलों में समाज के लोग भी जागरूक और जिम्मेदार बनें, ताकि किसी भी तरह की अराजकता को समय रहते रोका जा सके।